Kaal Sarp Dosh (कालसर्प दोष) एक विशेष योग होता है जो तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। यह योग जीवन में अड़चनों, देरी, मानसिक तनाव और अस्थिरता ला सकता है, खासकर विवाह, संतान, करियर और मानसिक शांति से जुड़ी समस्याओं में।
कुंडली में कालसर्प दोष कैसे पता चलता है?
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जब सभी 7 ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) — राहु और केतु के बीच फंसे होते हैं, और कोई भी ग्रह राहु-केतु के बाहर नहीं होता।
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राहु और केतु हमेशा 7वें से विपरीत होते हैं। यदि सभी ग्रह इनके बीच आ जाएं, तो इसे कालसर्प दोष कहते हैं।
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उदाहरण: यदि राहु 3rd house में है और केतु 9th house में है, और बाकी सभी ग्रह 3 से 9 के बीच हैं, तो कालसर्प योग बनता है।
कालसर्प दोष के लिए कौन-सी पूजा करें?
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कालसर्प दोष निवारण पूजा
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प्रमुख रूप से त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र) या उज्जैन, महाकालेश्वर, या कांचीपुरम में की जाती है।
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यह विशेष पूजा राहु-केतु को शांत करने के लिए होती है।
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राहु-केतु शांति पूजा
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यह पूजा राहु-केतु की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने के लिए की जाती है।
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नाग पूजा / नाग पंचमी व्रत
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नाग देवता की पूजा से भी कालसर्प दोष शांत होता है।
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महामृत्युंजय जाप
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शिव जी की कृपा पाने के लिए किया जाता है, जो हर प्रकार के दोष का निवारण करते हैं।
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रुद्राभिषेक
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भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे प्रभावी पूजा।
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किस ग्रह की विशेष पूजा करनी चाहिए?
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राहु और केतु – इन दोनों ग्रहों की विशेष पूजा करें।
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शिव जी – क्योंकि शिव ही नागों के अधिपति हैं और राहु-केतु के दोष को दूर करने वाले माने जाते हैं।
उपाय (Remedies) संक्षेप में:
उपाय | उद्देश्य |
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कालसर्प दोष पूजा (त्र्यंबकेश्वर या उज्जैन) | दोष की शांति |
राहु-केतु ग्रह शांति जाप | ग्रह दोष निवारण |
नाग पंचमी पर व्रत और पूजा | नागदोष शांति |
महामृत्युंजय मंत्र का जाप (108 या 1008 बार) | मानसिक शांति और सुरक्षा |
रुद्राभिषेक | शिव कृपा से दोष शमन |